खोलो जी केवाड़, कौन टेरत है पुकार, हौ तो बनमाली, तौ बिहरौ जाय बाग़ में,
नाम मेरो माधव, यहाँ बसंत ऋतु नाही, घनश्याम हौ, तौ जाय बरसो तड़ाग में,
नाम मेरो चक्रधर, तो बर्तन बनावो जाय,नाम मेरो बिहारी,तो बिहरो जाय नाद में,
जेती जेती ब्रजराज ने अरज कीन्ही है, तेती राधा जी ने भुलाई अनुराग में,
नाम मेरो माधव, यहाँ बसंत ऋतु नाही, घनश्याम हौ, तौ जाय बरसो तड़ाग में,
नाम मेरो चक्रधर, तो बर्तन बनावो जाय,नाम मेरो बिहारी,तो बिहरो जाय नाद में,
जेती जेती ब्रजराज ने अरज कीन्ही है, तेती राधा जी ने भुलाई अनुराग में,
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