Friday, March 4, 2011

हरी नाम के हीरा मोती मैं बिखराऊ ग़ली ग़ली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा,शोर मचाऊ गली गली,
माया के दीवानों सुन लो,एक दिन ऐसा आयेगा,
धन दौलत औ माल खजाना,यही पड़ा रह जायेगा,
सुन्दर काया माटी होगी,चर्चा होगी गली गली,
जो कहते थे अपना अपना,आग में तुम्हे सुलायेंगे,
सगे सम्बंधी नेमी प्रेमी,एक दिन तुम्हे भुलायेंगे,
जगत में मेला दो दिन का है,अन्त में होगी चला चली,
जिन जिन ने ये मोती लूटे,वे तो मालामाल हुये,
दौलत का जो बना पुजारी,आखिर में कंगाल हुये,
सोना चांदी वालो सुन लो,बात सुनाऊ खरी खरी,
पंच तत्व के नसवर शरीर पर,क्यों इतना इतराता है,
इस तन की कुटिया से एक दिन,निकलके तुझको जाना है,
छड़ भर का यह चमन खिला है,फिर मुरझाये कली कली,
दुनिया में रहे तब तक दुःख,जब तक होता ज्ञान नहीं,
ईश्वर को जो भूल गया,वह सच्चा इन्सान नहीं,
राम नाम की माला फेरो,ध्यान से गावो गली गली, 

No comments:

Post a Comment