Tuesday, March 8, 2011

निर्विकार निर्गुण निरंजन न अंत नित्य,नगन नगेन्द्र नाथ निखिल नमा महे,
अमल अनीह अज अच्युत अनादि आदि,अनघ अनंत ओम अखिल नमा महे,
सूरज प्रसाद शिव सुखमय सत्य सिन्धु,  सर्वदा सदैव एक स्वामी सुखदा महे,
तूर तप तुंग त्रिपुरारि त्रय  ताप हारी, तारन तरन ताहि त्रयम्बकं यजा महे,

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