Saturday, March 5, 2011

मैया ! सुन ले बात हमारी, जल्दी दीजै ब्याह कराय,
औरन के घर बहू नवेलीतू मैया कस रहै अकेली, सूनी सूनी लगे हवेली,
करो सुहावन आँगन अपनो, दुलहिन सुघर मंगाय,---मैया
जभी हमारो दुलहिन आवै,घर को सारो टहल बजावै,सुबह शाम तेरो चरण दबावै,
सुख पावे भरपूर काज को भार सबै हट जाय,---मैया
खेलेंगे हम दोऊ संग में,भरे हुए नित नव उमंग में,साज सजाये अंग अंग में,
सुन्दर सुन्दर नवल खिलौने दीजो हमें मंगाय,---मैया
सुनि मैया बोली मुसकाई,छोटी तेरी उमर कन्हाई,कैसे अबही करू सगाई,
दूँगी ब्याह कराय तनिक यदि और बड़ो ह्वै जाय,---मैया
उलझ पड़े मोहन मैया से,दे लड़ाय मोय बलभैया से,छोटो बड़ो को देख तमासे,
धनसुख,मनसुख सबको पटकूँ  तबही तू पतियाय,---मैया
मिला  ज्योतिषी वृन्दावन में,मोकूँ देख मगन भयो मन में,बरने शुभ लक्षण मेरे तन में,
जो-जो गुण बतलाये वाने सुन मैया चितलाय,---मैया
तुम सम जग में और दूजा,सारा जगत करै तेरी पूजा,साक्षी है ये तरणि तनूजा,
रूप रंग गुण बल वैभव में अति सम्पन्न लखाये,---मैया
वाने यह भी बात बताई,ऐसी रेखा पड़े दिखाई,बड़े घरन में होय सगाई,
नाम बढ़ावै मातु पिता को ऐसी कीर्ति कमाय,---मैया

क्यों मैया मोकूँ बहकावै,छोटो और कमजोर बतावै,पुण्य कार्य में देर लगावै,
करौ हमारो ब्याह नहीं तो कहूँ पिता सों जाय,---मैया
इतने में कुछ सखिया आई,बोली मंद मंद मुसकाई,कौन बनावै तुम्हें जमाई,
देखो मुख दर्पण में कैसो कारो बदन लखाय,---मैया
दुसह बोल सुनि लाल रिसाने,तू गँवार मोकूँ नहि जाने,चलनी सूप को छिद्र बखाने,
तू कारो तेरो बाबा कारो,कारी तेरी माय,---मैया
दूजे तोर चलन बिगरयो री,रोज करै माखन की चोरी,कांकर मार मटुकिया फोरी,
नटखट कुँज-बिहारी मन में,तनिक नहीं शरमाय,---मैया 
तुम्ही कहो तुम में गुण क्या है,सिर्फ दोष ही दोष भरा है,कौन तुम्हे निज बेटी ब्याहै,
भौह तान कर लियो लकुटिया,गोपी चली पराय,---मैया
छोडूँ नहीं बिना तोहि मारे,बनी बनाई बात बिगारे,मन में नहि कछु लाज तुम्हारे,
करै ब्याह में विघ्न अनेको,झूठी बात बनाय,---मैया
बाबा नन्द मोद उर छायो,लै लाला को कंठ लगायो,ब्याहन को विश्वास दिलायो,
आश्वासन सुनि बाबा के मुख,श्याम गये हरषाय,---मैया
बरसाने में करू सगाई,हाथी घोड़े ऊंट मंगाई,खूब मिलै पकवान मिठाई,
चले बराती सखा तुम्हारे,अद्भूत साज सजाय,---मैया    
बाबा ने यह ब्याह रचायो,यद्यपि गोपिन विघ्न लगायो,चली कछु मन में पछितायो,
जब-जब आवै याद ब्याह की,फूले नहीं समाय,---मैया
गये श्याम जहाँ खेलत ग्वारे,मगन देखि सब कहैं बिचारे,सुख को सारे भेद बता रे,
कही बात जैसी की तैसी,सुनि सब हँसे ठठाय,---मैया
कहै ग्वाल हँसि दै-दै तारी,कारी दुलहिन मिलै तुम्हारी,कारो ससुर सास तेरी कारी,
कारो तेरो गात कहाँ से,दुलहिन गोरी पाय,---मैया
दौड़ गई मुख पै अरुणाई,बोले मोहन भौहं चढ़ाई,क्यों तूने मेरी हँसी उड़ाई,
छोड़ तुम्हारो संग आज से,रहूँ ससुर घर जाय,---मैया
जो प्राणी हरि के गुण गावै, 'नारायण' के मन अति भावै,सुख उपजे दुःख निकट आवै,
लख चौरासी फंद कटे और,आवागमन मिट जाय,---मैया

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