वेदन उधारि भूमि भार पीठि धारि धरा, दसन उबारि हिरणकशिपु को मारयो है,
बलि छलि लैके क्षिति क्षात्री बिनु कै के, रण दस सिर जै कै हलधर बपु धारयो है,
करुणा बिचार यझ विधिहि निवारि,फेरि कलि मे कलंकी ह्वै कुल म्लेच्छन संहारयो है,
नन्द के कुमार तुम्हे नमो बार बार, ऐसे दस अवतार अवतारी जग तारयो है,
बलि छलि लैके क्षिति क्षात्री बिनु कै के, रण दस सिर जै कै हलधर बपु धारयो है,
करुणा बिचार यझ विधिहि निवारि,फेरि कलि मे कलंकी ह्वै कुल म्लेच्छन संहारयो है,
नन्द के कुमार तुम्हे नमो बार बार, ऐसे दस अवतार अवतारी जग तारयो है,
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