कूल तटनी के नाग वरि ब्रज वारि केल हेतु, जल पैठ्यो दर्प भुज बल भारी के,
धायो नक्र क्रुद्ध युद्ध अब्द बहु बीते भीते,साथी भयो पाथी हरि रिपु अधिकारी के,
बिबस अनाथ ह्वै पुकारत अनाथ नाथ, सूरज प्रसाद ध्यान मगन मुरारी के,
दृग पट झूली झट पीत पट रूप छटा, भट तट झूल्यो प्रेम नट अवतारी के,
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