Sunday, February 27, 2011

दूत जम आगे कहै बिकल मही के हाल, गजब गुजारे देत लाल हुलसी के है,
तीखी रामबान सो रामायण बनाय मंजु, गरब नसाये सबै कलि कलुषी के है,
भारे अघवारे ते सिधारे सुर धाम सारे, गाय के चरित्र  अवधेश   सुयशी के है,
दोष दुःख टारे जात पातक बिदारे जात,भक्त उर धारे जात तारे तुलसी के है,

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