ताये देति तीनो ताप प्रबल प्रचंड घोर, काम क्रोध लोभ मोह मान मद ढाये देति,
तूल के समान पाप पुन्जन जलाये सद्य, अधम उधारि कलि कलुष नसाये देति,
छाये देति परम पुनीत अवधेश भक्ति, जगत जनों में सदाचार बगराये देति,
गाई रामगाथा जो बनाई तुलसी ने मंजु,मानो शब्द शब्द सो पियूष बरसाये देति,
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