जटित नक्षत्र नव नगसर पेंच बीच, पैची मनिमाल मुकतावलि माला बोर की,
भज पजनेश पट पहर जरी के कटि, फेंट फहरान छहरान छिति छोर की,
कोटिन प्रभाकर ते अधिक प्रकाश पुंज, धावत धरा पे दिव्य दुति दुहूँ ओर की,
तीन लोक झांकी ऐसी दूसरी न झांकी,जैसी झांकी हम झांकी बांकी युगलकिशोर की,
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