Kavita Ghat (कविता-घट)
Friday, February 11, 2011
हर हर कहत चलत जप हर हर,उठत परत सपनन लख हर हर,
थकत बकत बरनन कर हर हर, दरस परस हरषत रट हर हर,
कहत रहत हर कहत गहत हर, पढ़त गनत हरदम कह हर हर,
हरत सकल अघ जनम जनम कर, दरद न रहत कहत नर हर हर,
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