श्री गुरु चरण सरोज बंदि, गननाथ मनावऊँ,
जेहि प्रसाद शुभ होई, नाथ सोइ बिनय सुनावऊँ,
आरत भंजन राम नाम, सब ग्रंथन गाई,
सुमिरत गाढे होत नाथ, सब ठौर सहाई,
श्रीपति रघुपति अवधपति, करउ नाम सोई जापना,
सो कृपा करहुं श्री रामचंद्र, मम हरहुं सोक सन्तापना||
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