पौढ़ी हुती पलिका पर सुन्दर, सेज संवार सिंगार बनाये,
लाग गयी पल में पलकें, पल लागत ही पल में पिय आये,
धाय उठी उनसे मिलिबे कह,जागि परी पिय पास न पाये,
मीरन और तो सोय के खोवत, मैं सखि प्रीतम जागि गवाये,
लाग गयी पल में पलकें, पल लागत ही पल में पिय आये,
धाय उठी उनसे मिलिबे कह,जागि परी पिय पास न पाये,
मीरन और तो सोय के खोवत, मैं सखि प्रीतम जागि गवाये,
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