Tuesday, January 11, 2011

 आय  नंदरानी से कहेउ है  काहू टेर आज, माटी खात देखो सुत तेरो या सदन में,

सुन के रिसाय,सुत बोल, मुख खोल देखेव,एक ब्रह्म,दोउ भेद,तीनो देव तन में,

 चारो वेद, पांचो भूत, छयो ऋतु, सातो ऋषि,आठो वसु,नवो गृह,दसहू दिशान  में,

 ग्यारह  महेश,   दिनेश  बारहू   बिलोकि,  तेरहू  रतन, लोक  चौदहू बदन में,

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