बड़ेन सो जान पहिचान तौ काह रहीम, जौ पे करतार ही न सुख देवनहार है,
सीतहर सूरज सो प्रीत कियो पंकज ने, तऊ कंज बनन को जारत तुषार है,
नीरनिधि माहि धंसेव,संकर के शीश चढेव,तऊ न कलंक नसेव,शशि में सदा रहे,
बड़े रीझवार है, चकोर दरबार है, कलानिधि के यार है, तऊ चाखत अंगार है,
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