Tuesday, January 11, 2011

बलिदान सिंह का देखा कभी, बलि वेदी  पे बकरे सजाये  गए,

विषधारी को दूध  पिलाया   गया, केचुए  कंटियो   में  फसाए  गए,

वन   टेढ़  दरख़्त   न    काटे   कोइ , सीधो   पे  आरे  चलाये   गए,

बलवान  का  बा  बांका हुआ, निर्बल  ही  बेचारे सताए गए,

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