Kavita Ghat (कविता-घट)
Friday, January 14, 2011
गोष्ठ
में
बांधे
रहेंगे
पसू
,
धन
भूमि
में
गाड़ो
परो
रहि
जइहे
,
द्वार
लौ
नारि
चले
शिवपालजू
,
आगे
नहीं
पुनि
पाँव
बढइहे
,
ग्राम
के
वासी
,
कुटुंब
मसान
लौ
,
देह
चिता
लग
नेह
लगइहे
,
अंत
समय
परलोक
के
मारग
,
कर्म
ही
एक
तेरे
संग
जइहे
,
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