आये कान्ह द्वारे, राधे दौड़ उठ देखि आली, काहू यह बात कही आनंद सुधामई,
केते दिनहू की तन तपन बुझाईबे को, प्रेम सरसाय प्यारे देखन तहां गई,
झूठौ सुख सपनेहु करन न पायो आली, दई निरदई हाय तुरत दगा दई,
जौं लौं भरि नैन वह मूरत निहार देखौ, तौं लौं नैन छोड़ नींद बैरन बिदा भई,
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