कोटि मार्तण्ड मणि मंडित मुकुट क्रीट,
चन्द्रिका चमक चकचौंधी चहु ओर की,
सिर पेंच पेंची, कल कलंगी कुलीस कन,
बंदिनी बिचित्र चित्र असिल अन्जोर की,
सतगन नग पे बसन मुकेश राजे,
एक सी प्रकाशी गति दोनों चितचोर की,
तीन लोक झांकी, ऐसी दूसरी न झांकी,
जैसी झांकी हम झांकी, बांकी युगलकिशोर की,
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