Thursday, January 20, 2011

कै  चुकेउ  भोग  संजोग  सबै, कै  चुकेउ   चंचल   चित्त चलाँकी,

तेउ नंदरामजू कै   चुकेउ संपत्ति, कै चुकेउ बात सबै मनसा की,

पीस  गये  भट रावन सो, अरु  फूटी  नहीं वह काल की चाकी,

राम के नाम से हेतु करौ, अब  तो  न रहेउ करिबो कछु बाकी,

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