क्यों न जरि जाय री पतंग धाय दीपक में,क्यों न मणिहीन जो भुजंग प्राण त्यागैरी,
रजनी मलीन बिन चंद क्यों न होय भटू, स्वाती बिन चातक अधार क्यों न बागैरी,
रसिकबिहारी बिन सुघर सनेही मिले, कोटिहू उपाय ते न जीव अनुरागैरी,
बिछुरे नीर मीन क्यों न मर जाये आली,जाने सो बियोग पीर जाके जिय लागैरी,
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