उधौ जो रहिती हम,मथुरा पुरी के बीच, कीच मे पछाड़ वाको मुहें मुहं मारती,
मारती, बिदारती, उजाड़ देती वाके केस, श्याम की सुहागिनी, न ह्र्दय बिचारती,
पकर लै जाती जो, मातु जसुदा के पास, हा हा खवाय, मार धाम में पछाडती,
मारि,मारि लातन ते,चाभि चाभि दातन ते,कूबरी को कूबरो,कलेजवा निकालती,
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