Kavita Ghat (कविता-घट)
Wednesday, January 12, 2011
देन
चहै
करतार
जिनहि
सुख
,
सो
तो
रहीम
ट
रे
नहि
टारे
,
उद्दम
,
पौरुष
कीन्हे
बिना
,
धन
आवत
आपुहि
हाथ
पसारे
,
देव
हंसे
सब
आपुस
में
,
बिधि
के
परपंच
न
जात
निहारे
,
बेटा
भयउ वसुदेव
के
धाम
,
औ
दुन्दुभी
बा
ज़त
नन्द
के
द्वा
रे
,
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