Friday, January 14, 2011

तात मिले पुनि मातु मिले, सुत  भ्रात मिले युवती सुखदाई,

राज  मिले  गजराज मिले  सब साज मिले मनोवांछित पाई,

लोक  मिले  सुरलोक  मिले   बिधिलोक  मिले  बैकुंठहि जाई,

सुन्दर और मिले सबही सुख पर संत समागम दुर्लभ भाई,

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