तीरथ जाऊ तो जात चलो नहि,औ योग को साधिबे है कठिनाई,
धर्म करूँ धन पास नहीं अरु, ज्ञान सुने मन रोके न जाई,
रीत सबै बिपरीत भई, मकरंद कहें तुमहीँ सुखदाई,
मोरे बनाये कछू न बनी, बनिहै ब्रजनाथ तुम्हारी बनाई,
धर्म करूँ धन पास नहीं अरु, ज्ञान सुने मन रोके न जाई,
रीत सबै बिपरीत भई, मकरंद कहें तुमहीँ सुखदाई,
मोरे बनाये कछू न बनी, बनिहै ब्रजनाथ तुम्हारी बनाई,
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