होरी आज चोरी की कहाँ लौ कहों मोरी सखी,लाडली पठाई भुज गहन सहेली को,
मेरे भावे भावतो गहाय गयो जान बूझ, आय गयो संग में मचाये रंगरेली को,
ललिता लचायो लंक, बांह दै विशाखा गले, डार हिये हार हरि आनंद चमेली को,
प्यारी लै गुलाल नन्दलाल मुख मीडै जौलो,तौलो छैल छुइ गयो कपोल अलबेली को,
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