जाके तन रोग होय औषधि बिचार करे, जाको तन कंचन ताही दवा कहाँ दीजिये,
अंतरपट कोर भये खोजबो अवश्य कहों, नियरे नित रहें ताही खोज कहाँ कीजिये,
रामलाल अमृत के सागर को छोड़ कर, पोखरन जाय मलिन खारी जल पीजिये,
उधौ तुम बार बार ध्यान ध्यान ध्यान कहो,ध्यान से न जाय ताको ध्यान कहाँ कीजिये,
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