गहेऊ पट दुशासन,दुर्योधन अनुशासन सुनि, सुनिए खगासन,वह आसन अलसानेउ है,
करिहो जो देर तो जिअत न पहियो मोहि, साडी के साथ, तन प्रानहू परवानेउ है,
कैसे अब धरु धीर, छुटन चाहत मेरो चीर, मेरे पति सभा बीच, मौन ब्रत धारेउ है,
बरनत कवि कालीचरन , द्रौपदी पुकार कहे, खगपति बुड़ानेव, कि सुदर्शन हेरानेउ है,
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